उड़ती पतंगें:
उड़ती पतंगें:
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आसमान मे उड़ रहीं पतंगें चारो ओर,
सर सर करती चलती जातीं ऊपर की ही ओर।
हरी-लाल और नीली -पीली ये सब मन को भाती हैं,
हवा काट कर ऊंचा उड़तीं,सर सर ध्वनि तब करती हैं।
मकरसंक्रांति का दिवस आज गुजरात की रीति पुरानी है,
घर घर आज पतंगें उड़तीं रीति रिवाज पुरानी है ।
विभिन्न आकार की पतंग बना कर कलाकारी अपनी दिखलाते हैं,
बरेली प्रसिद्ध है मांझा वास्ते,वहीं से सप्लाई पाते हैं।
चीन की बनी पतंगों-मांझा ने कारीगरों का दिल तोड़ दिया,
पीढ़ियों से चलते धन्धें को चीन ने आ बर्बाद किया।
पुरानी हुकूमतों को कारीगरों के जीवन की परवाह न थी,
जहां से मिलता मोटा पैसा, उस घर की बस शान ही थी।
मकरसंक्रांति तो देश भर मे अनेक रूप मे दिखता है,
कहीं पोंगल, कहीं खिचड़ी कहीं बड़ी संक्रांति भी कहते हैं।
घर के बाहर आग जला कर सभी अग्नि पूजन करते,
तिल-गुड़ आदि से पूजन कर अग्नि माता से प्रार्थना करते।
आनन्द कुमार मित्तल, अलीगढ़
Gunjan Kamal
21-Jan-2024 09:29 PM
👏👌
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Khushbu
18-Jan-2024 07:21 PM
Very nice
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Alka jain
17-Jan-2024 06:02 PM
Nice
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